उत्तराखंड में मानकों के अनुरूप बूचड़खाने नहीं बनाए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि सरकार बूचड़खाने नहीं बना सकती है तो प्रदेश को शाकाहारी घोषित कर दे। सरकार की ओर से प्रस्तुत किए गए शपथपत्र पर सख्त नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने सचिव शहरी विकास, जिलाधिकारी नैनीताल, नगरपालिका नैनीताल के अधिशासी अधिकारी, नगर आयुक्त हल्द्वानी, ईओ रामनगर, ईओ मंगलौर पालिका के खिलाफ आपराधिक अवमानना के आरोप तय करते हुए सभी को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट में 27 नवंबर को भी सुनवाई जारी रहेगी। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। प्रदेश के मीट कारोबारियों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। पूर्व में कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को प्रदेश में अवैध रूप से संचालित बूचड़खाने और उनमें बिक रहे मीट की जांच करने के आदेश देते हुए उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा था लेकिन यह रिपोर्ट अभी तक कोर्ट में पेश नहीं करने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और उक्त को कारण बताओ नोटिस जारी कर व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था।
2011 में कोर्ट ने प्रदेश में चल रहे अवैध बूचड़खानों को बंद कराने के आदेश देने के साथ ही सरकार को मानकों के अनुरूप बूचड़खाने का निर्माण करने के निर्देश दिए थे। इस आदेश के विरुद्ध सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी लेकिन अभी तक सरकार को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। 2018 में कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने 72 घंटे में सभी अवैध बूचड़खाने को बंद कर दिया लेकिन अभी तक मानकों के अनुरूप बूचड़खाने का निर्माण नहीं किया जा सका है। याचिका में कहा गया कि सरकार कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही है और अभी तक बूचड़खाने नहीं बनाए जाने से उन्हें (मीट कारोबारियों को)करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
उत्तराखंड: हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, बूचड़खाने नहीं बना सकते तो घोषित कर दो शाकाहारी प्रदेश