कुरुक्षेत्रः राष्ट्रीय राजनीति में दमदार भूमिका निभाएंगे शरद पवार
महाराष्ट्र की सियासी शतरंज में शरद पवार जिस तरह सबसे बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे हैं, उससे एक बात साफ है कि आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजनीति में पवार एक बड़े विपक्षी ध्रुव बनकर उभर सकते हैं और विपक्ष की राजनीति में खाली पड़े शून्य को भर सकते हैं। क्योंकि जिस तरह महाराष्ट्र की महाभारत के आखिरी पर्व में अगर कोई चक्रवर्ती होकर उभरा है तो वे हैं शरद पवार। क्रिकेट के भी शहंशाह रहे शरद पवार को अगर क्रिकेट की ही भाषा में कहा जाए तो वह मैन ऑफ द मैच नहीं बल्कि मैन ऑफ द सीरीज कहा जा सकता है। क्योंकि ऐसे समय में जब मुंबई के राजभवन से लेकर दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास और राष्ट्रपति भवन तक भाजपा नेता रहे व्यक्ति पदासीन हैं और मौजूदा गृह मंत्री व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साम-दाम-दंड-भेद कौशल का लोहा पूरा देश मानता है, तब अपनी सियासी चालों से शरद पवार ने न सिर्फ शिवसेना को बल्कि कांग्रेस को भी विवश कर दिया कि दोनों के पास एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा, बल्कि महाराष्ट्र में भाजपा को मात देकर शरद पवार ने विपक्ष की राजनीति में अपना कद सबसे बड़ा कर लिया है।
उससे एक बार फिर साबित हो गया सियासी शतरंज में पवार का कोई जोड़ नहीं है। अपने राजनीतिक पराक्रम से शरद पवार ने एक बार फिर महाराष्ट्र का मैदान मार लिया है और अब शरद भाऊ का रथ मुंबई से दिल्ली की ओर चल सकता है।


महाराष्ट्र सीरीज के पहले मैच में यानी चुनाव के दौरान शरद पवार ने ही अकेले भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना गठबंधन को चुनौती दी और नतीजे आने के बाद उन्होंने ही सियासी बिसात पर सारी शतरंजी चालें चलीं। पहले उन्होंने एसा कोई कदम नहीं उठाया, जिससे यह संकेत मिले कि एनसीपी सत्ता के लिए आतुर है। पवार का पहला बयान था कि एनसीपी को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है। इसके बाद उन्होंने पर्दे के पीछे से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को हवा दी और भाजपा-शिवसेना युति के टूटने का इंतजार किया।